
गुजरात में सूरत के रिंग रोड स्थित शिव शक्ति टेक्सटाइल मार्केट में लगी भीषण आग मुझ तो गई है लेकिन इस प्रकार कई सवाल उठ रहे हैं। बेसमेंट में लगी आग बुझा देने के बाद दोबारा आंख कैसे लगी, इस पर संदेह हो रहाहै। आज कैसे लगी उसका कारण नहीं पता चल सका है।अब सरकार से लेकर मैहर तक इसकी जांच करने की बात कर रहे हैं।
आंख से इमारत की 450 दुकानें खाक हो चुकी है, लेकिन आज अब भी नहीं बजती है। किसी आंख में एक दुकान में रखे 20 करोड रुपए रख हो गए। कारोबारी ने गुहार लगाई की दुकान में 20 करोड रुपए रखे हैं। या नकदी अलग-अलग पर्टियो की है । जल गई तो बर्बाद हो जाऊंगा लेकिन दुकान लपटों से गिरी होने से उसे अंदर नहीं जाने दिया गया। हालांकि एक अन्य कारोबारी 45 लाख रुपया निकलने में सफल रहा।
इमारत की चौथी और पांचवी मंजिल की कई दुकानें डह गई, स्लैब गिर गया। तापमान 100 डिग्री से अधिक होने से भारत का पूरा स्ट्रक्चर खराब हो गया है। सलाबतपुरा कहानी के इंस्पेक्टर कैदी जडेजा ने कहा कि जांच के बाद कारण पता चलेगा। 700 दुकान जलने और 850 करोड रुपए के किसान का अंदाजा है।
राजस्थान युवा संघ जिला कांग्रेस कमेटी में मुख्यमंत्री से राहत देने की मांग की है। एसजीटीटीए मार्केट के व्यापारियों को संभव मदद करेगा। एक बिल्डर ने अपने मार्केट में एक साल तक व्यापारियों को मुफ्त दुकान देने की घोषणा की है। और मार्केट में दुकान देने के लिए आगे आए हैं।
शिव शक्ति मार्केट के बेसमेंट में मंगलवार को आग लगीथी, इस पर हमने रात 9:00 बजे तक पूरी तरह से काबू पा लिया था। यह सुनिश्चित किया था कि आज दोबारा नाम भड़के लेकिन बुधवार को हमें सूचना मिली कि आज फिर से लग गई है। हमारी टीम जब मौके पर पहुंची तो पता चला कि इस बार आज पहली और दूसरे मंजिल तक फैल चुकी है।
यह आग कैसे लगी या जांच का विषय है।
बुधवार को 40 जवानों को 5 टीम में भेजा गया। सुंदर घना धुआ और अधिक गर्मी थी, जिससे फायर विकेट बालों को बेहद मुश्किल हो गई थी। दीवारे गर्म हो चुकी थी। दुकानों में दो मंजिल बना दी गई थी, इसे अंदर जाने के रास्ते पूरी तरह बंद थे। हम ऑक्सीजन सपोर्ट से सांस तो ले पा रहे थे, लेकिन धने धुएं से कुछ भी साफ नजर नहीं आ रहा था। हमारे एक फायर ऑफिसर जयदीप इसरानी फिसल गए, उनका हाथ फैक्चर हो गया। कई जवानों की हथेलियां छिल गई
सूरत में आग लगने के वजह से बहुत बड़े-बड़े करोड़ पति के कपड़े फैक्ट्री जल जल चुके हैं हम उनका कहना है कि अब हम रोड पर आ चुके हैं वह हमारा क्या होगा।